हिंदु-मुस्लिम शादी का गाना - हम आपके हैं कौन!!!
चिट्टा जगत में बहुत दिनों से हिंदु-मुस्लिम और उन पर होने वाली राजनीति पर कलम घिसी जा रही है। कमोबेश यही हाल हर न्यूज़ चैनल का भी है। और हो भी क्यों न कब तक क्रिकेट और सचिन के विवादों से टीआरपी बढ़ाएँगे, वैसे भी इन मुद्दों के मंद पड़ते ही नए मुद्दे तो चाहिए ही न! और फिर बात हिंदु-मुस्लिम की शादी की हो तो क्या कहने!! उमर और प्रियंका वाधवानी की शादी भी होनी तो आम ही थी पर म.प्र. से मुंबई तक लगी उनकी दौड़ सबकी नज़रों में आ गई। और इसका परिणाम सिंधी समाज की हर लड़की पर पाबंदी के रूप में सामने आ गया।
पिछले चार-पाँच दिनों से मीडिया में उमर-प्रियंका की शादी मामला हर किसी के कानों में गूँज रहा है। 2 अप्रैल को उमर और प्रियंका वाधवानी के घर से गायब होने के बाद उमर पर प्रियंका के अपहरण का मामला दर्ज करा दिया गया। लेकिन कल मुंबई में इन दोनों की शादी होने की ख़बर और मुंबई हाई कोर्ट द्वारा उसे वैध करार दिए जाने पर भोपाल में भारी बवाल मच गया। हिंदु समाज के सभी प्रतिनिधि प्रियंका को शादी की बधाइयाँ कम दे रहे थे और समाज के मुँह पर कालिख पोतने का इल्ज़ाम लगाए जा रहे थे। कल इस मुद्दे पर एक न्यूज़ चैनल पर लाइव कार्यक्रम देखा जहाँ प्रियंका उसकी और उमर की शादी का पुरज़ोर विरोध करने वालों से केवल एक सवाल पूछना चाह रही थी, वो ये कि यदि उसने और उमर ने एक साथ सुख-दुख बाँटने का फ़ैसला कर लिया है तो कोई विशेष दल या संगठन उनका विरोध करने वाला कौन होता है। दो घंटे तक लंबी बहस चली महिला विशेषज्ञों ने अपने तर्क रखे, दल विशेष के लोगों ने अपना आक्रोश प्रकट किया, और चैनल को अच्छे दर्शक मिल गए, लेकिन प्रियंका का सवाल जहाँ से शुरु था वही पर आ कर ख़त्म हो गया!!! उमर बेचारा चुप-चाप बैठा सुनता रहा और कभी-कभार उसके मुँह से भी भय से उपजे एक दो शब्द सुनने को मिल ही गए।
म.प्र. में इस प्रेमी युगल को शादी करने की अनुमति नहीं दी गई और इन्हें भागकर मुंबई कोर्ट के सामने अपने प्रेम करने का दोष सुनाना पड़ा, मुंबई कोर्ट ने भी सज़ा के तौर पर इनकी शादी को मान्य क़रार दे दिया और म.प्र. शासन से इनकी सुरक्षा की अपील भी की जिससे ये दोनों तो ख़ुश हो गए लेकिन समाज के लोगों के मुँह लाल हो गए। इसमें भी कमी थी तो सुबह-सुबह ही सिंधी समाज ने सिंधी लड़कियों के मुँह पर कपड़ा बाँध कर घूमने और मोबाइल रखने पर रोक लगा दी। उमर-प्रयंका अपने घर लौटना तो चाहते हैं उनके साथ पूरे देश और न्यायालय का समर्थन भी है, लेकिन उनके घर और समाज के सम्मान की चिंता करने वाले लोगों के बयान और तेवरों को देखकर उमर-प्रयंका के चेहरे पर उभरे भावों से तो ये नहीं लगता कि वे जल्द से जल्द अपने घर जाने को तैयार हो जाएँगे। अब उनके लिए ये तय करना वाकई मुश्किल है कि कौन उनका है कौन पराया। कार्यक्रम के बाद मेरे मन में भी ये गम्मत हुई कि प्यार करने के लिए समाज और परंपरा को ध्यान में रखना चाहिए, यदि सामने वाला आपके धर्म का नहीं हो तो यही कहना ठीक होगा कि - ''हम आपके हैं कौन''।
मुझे ये कहने में कतई गुरेज नहीं कि हम हिन्दुस्तानी बड़े ढोंगी होते हैं। ये पढ़िएगा।
ReplyDeleteसही है.
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