मुझसे मेरे कितने नाम...
क्या है नाम मेरा कभी सोचता हूँ
तो वो नाम याद आते हैं,
जिन्होंने कई नाम दे दिए।
मेरा मुखौटा पसंद करते हैं,
फिर उसी के पीछे वाले
चेहरे की असली पहचान पूछकर,
ख़ुद ही एक नाम भी दे देते हैं।
अजीब हैं...
कभी मुखिया घोषित कर दिया,ये जानकर कि हम आदेश देते हैं,
हर वक्त कर्म लक्ष्य प्राप्ति में
अपने कुनबे की फ़िक्र में रहते हैं,
भीड़ के रंगों में घुल जाना,
चंचलता की सीमाओं को लाँघ
अनजाने रास्तों पर बढ़ जाना,
ऐसी कुछ आदतों के तर्क पर
किसी ने झरने की संज्ञा दे दी,
इसलिए कभी बहते पानी सा भी लगता हूँ,
किसी की प्यास बुझ जाती है,
तो कुछ भीग जाते हैं,
कोई पाप धोकर हमसे
ख़ुद में ख़ुद की ख़ुशी पाते हैं,
तो कुछ नाम के प्रयोग में
सभी अक्षरों को तोड़ कर,
मेरे नज़दीकी बनना चाहते हैं
कभी पागल घोषित करके मुझेमेरे ही कौशल से परिचित कराते हैं,
अच्छा लगता है....कभी...फिर...
सोचता हुँ कितने नाम मिले हैं!
काश! कोई एक नाम और देता,
तुम दोस्त हो, मित्र हो, हमराही हो!
कोई ऐसा भी तो कहता।
नाम और पहचान की रेस में,
यही तसल्ली करता हूँ,
नामों से फ़र्क क्या पड़ता है।
आख़िर
मैं हूँ तो वही जो मैं हूँ!
~ पंकज
हर मुखौटा एक नाम लेकर आता है और चाहे अनचाहे चेहरे पर चिपक जाता है।
ReplyDeleteIts correct only..don't wait for anyone to say anything about u,,just believe in urself and live ur ife according to u..may b u r good,,may b u r bad,,,but what ever it is ,,its u and ur life. Its good,,keep it up,,,,
ReplyDeleteप्रिय पंकज, त्वं सत्यं वदति। संपूर्ण विश्वः इति गम्मतशीरः। सर्व मानव प्रजातीभिः ईश्वरस्य गम्मत अस्तु। परंतु त्वं स्वयं पंकजः, राजीवः...आंग्ल भाषये लोटस् च। शुभम् भवंतु।
ReplyDeleteसुश्रुत जळूकरः श्रीकरसुनुः।
naam dena tumhe achhha nahi lagta.....ye aaj maaloom pada panku
ReplyDeletedil ki baaten dil se badhiya he i liked it alot carry on the writing sir.
ReplyDeleteWo kehte hai na pyaar se di hui cheezirn rakh leni chahiye isliye jo bhi naam diye gaye hai tumhe pyaar se diye gaye hai rakh lo......
ReplyDeleteवैसे तुम्हारा नाम क्या है पंकज?
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