अपना भी नाम कर लेते!
उस मोड़ पर नज़रों से दुआ-सलाम कर लेते,
हम भी हँसकर तुम्हारा एहतराम कर देते।
तुम्हे शकोशुबह है फ़कत एक लफ़्ज़ दोस्ती पर,
हमसे कहते हम दास्तानें बयान कर देते।
एहसासों के दंगे हैं गर तेरी परेशानी का सबब,
तो प्यार को तलवार, नफ़रत को मयान कर देते।
अकेले में नज़रों से तीर चलाना तुमने सिखाया,
वरना तो हम इज़हार-ए-इश्क़ सरेआम कर देते,
तेरी ख़ामोशी जो होती मेरी हँसी की कीमत,
हम अपनी दुआओं को भी बेज़ुबान कर देते,
एक कोर रोटी ही थी उस ग़रीब की ख़्वाहिश,
वो कहता तो क्रिसमस-दीवाली-रमज़ान कर देते,
मज़हब के बँटवारे में भी ऐसे बाँटते तिरंगा फिर,
कि नारंगी गीता सफ़ेद बाइबल, हरी कुरान कर देते,
हक़ से कोई तो पूछे ‘बता रंज क्या है पंकज?’
आपकी कसम हम शिकायतें तमाम कर देते,
उन जनाब के शौक ही चचा ग़ालिब थे वरना,
दो पंक्ति सुनाकर हम भी कुछ नाम कर लेते।
~ पंकज
तुम्हे शकोशुबह है फ़कत एक लफ़्ज़ दोस्ती पर,
ReplyDeleteहमसे कहते हम दास्तानें बयान कर देते।
मज़हब के बँटवारे में भी ऐसे बाँटते तिरंगा फिर,
कि नारंगी गीता सफ़ेद बाइबल, हरी कुरान कर देते,
हक़ से कोई तो पूछे ‘बता रंज क्या है पंकज?’
आपकी कसम हम शिकायतें तमाम कर देते,
bahut khub Pankaj ji ...